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सीप के मोती:
अथर्ववेद का यह उपवेद 'आयुर्वेद', विज्ञानं, कला और, दर्शन का मिश्रण है.
आयुर्वेद के इतिहास के विषय में ज्ञात है की सर्वप्रथम ब्रह्मा जी से प्रजापति ने आयुर्वेद का अध्ययन किया था. तत्पश्चात प्रजापति से अश्विनी कुमारों ने, अश्विनी कुमारों से इन्द्रदेव ने तथा इन्द्रदेव से ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद का अध्ययन किया.
'आयुर्वेद' में 'आयु' तथा 'वेद' शब्दों के अर्थ बड़े व्यापक बताये गए हैं. 'शरीर', 'मन' तथा 'आत्मा' के संयोग को आयुर्वेद में 'आयु' कहा गया है. वेद शब्द के अर्थ - ज्ञान, ज्ञान के साधन, ज्ञान के लाभ, सत्ता, विचार, गति तथा प्राप्ति बताये गए हैं. इस प्रकार 'आयुर्वेद' का अर्थ है 'आयु' का 'ज्ञान'.
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सुखायु:
दुखायु:
समस्त साधनों से संपन्न होने पैर भी, मानसिक या शारीरिक विकार से पीड़ित, अथवा निरोग होने पैर भी साधनहीन होना, या स्वास्थ्य और साधन दोनों से रहित व्यक्ति को आयुर्वेद के अनुसार 'दुखायु' बताया गया है.
हितायु:
अहितायु:
आयुर्वेद के अनुसार वे व्यक्ति जो अविवेक, दुराचार, अत्याचार, क्रूरता, स्वार्थ, दंभ आदि दुर्गुणों से युक्त और लोक तथा समाज के लिए अभिशाप होते हैं अहितायु कहलाते हैं.
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